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शीशे सा नाजुक दिल मेरा, हर एक हाथ में पत्थर है। डरता भी है दुखता भी है, देखा पथरावी मंजर है। ख्याल दिलवर का आते ही, धक-धक बैचैनी बढ़ जाए। पहलू ...